वो पापा हैं
वो पापा हैं
मस्तक जिसका हिमगिरि जैसा ,
आँखे झील हजार।
अधरों पर समरसता विहँसे ,
शब्द-शब्द झंकार।
मैं जीतूं वह बने सिकन्दर , वो पापा हैं।
मेरे चुल्लू में जो भरे समंदर, वो पापा हैं।
फटी एड़ियों में अपने ,
हर राज छुपाते हैं।
हम विचलित ना हो जाएं ,
हंसकर बतियाते हैं।
रखते मुझको दिल के अंदर , वो पापा हैं।
मेरे चुल्लू में जो भरे समंदर, वो पापा हैं।
आशाओं से आकर मेरे ,
हाथ मिलाते हैं ।
इच्छाओं को झट से मेरे ,
गले लगाते हैं ।
मेरे बटुए में जो भरे मुक़द्दर , वो पापा हैं ।
मेरे चुल्लू में जो भरे समंदर , वो पापा हैं ।