वन्य जीव और मानव
वन्य जीव और मानव
प्यारा - सा घर है
हम प्राणी अनेक हैं
बोली, सूरत, रंग - रूप और
आकार भी भिन्न - भिन्न हैं हमारे
पर रहते हैं हम मिलकर
कहते हैं सब हमको - " वन्य प्राणी "
यही तो बात अनमोल है ।
तुम सब जो कहलाते हो मानव
पर तुममें नहीं है एकता ; तुम सब केवल
जात - पात, स्वार्थ और लड़ाई का
यूँ लगता है मेल हो ।
मानव हो अगर तो मानवता दिखलाओ
सभी जीवों के प्रति उदार बनकर
दुनिया को समझदारी का अपनी
कोई तो ईमानदारी से संदेश दो
हम वन्य प्राणियों से प्रेम से रहना सीख लो
ईश्वरीय ज्ञान का मार्ग अपनाकर
हिंसा को छोड़
प्रकृति संरक्षण भी सीख लो ।
