वक्त बहुत था
वक्त बहुत था
वक्त बहुत था,
खुद को समझने का वक्त बहुत था,
पर कभी समझ ना पाया ,
दूसरों को समझाने के चक्कर में ,
अपना भी सब कुछ गवाया ,।
अपनी इच्छा को पूरी करना छोड़ ,
दूसरों की पूरा करने लगे ,
वो अपने भी ना रहे सगे,
गए सब मौके पर छोड़ ,।
स्वास्थ्य तंदुरुस्ती का सबको ,
देते रहे बड़ा ज्ञान ,
देख देख कर खुश होते सबको
पर खुद पर दिया न ध्यान ,।
इस कलियुग में कोई भी ,
मानता नहीं अहसान ,
छोड़ कर सबकी सेवा भाई,
कर के अपना भी ध्यान ,।