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shweta duhan Deshwal

Abstract

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shweta duhan Deshwal

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वजह

वजह

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क्यों जिंदगी में इतने गम क्या है वजह,

खुश रह सके जहाँ हम चलो ढूँढे ऐसी जगह।


मन ख्वाबों का समंदर ख्वाब कई सजाता है

टूट जाते हैं जब ख्वाब गम बहुत सताता है

पूछा है कभी मुरझाए फूलों से क्या है वजह

खुश रह.......


मिलते हैं राहो में राही कई एक हमसफर होता है

छूट जाए जो साथ सफर गमगीन होता है

पूछा कभी टूटते सितारों से क्या है वजह

खुश रह......


चल पराजय की राह ही फतह हासिल होती है

न मन डगमगाए तो सफलता हासिल होती है

पूछा कभी उगते सूरज से क्या है वजह

खुश रह.......


रंग बिरंगी दुनिया है ये रंग दिल लुभाते हैं

अपनी महक अपनी रंगत से दिल बुदबुदाते हैं

पूछा कभी बदलती ऋतुओं से क्या है वजह

खुश रह........


प्यार के बंधन से बँधी रिश्तों की डोर होती है

टूट जाए जो डोर रिश्तों में जहर घुल देती है

पूछा कभी मद्यप से मयखाने जाने की क्या है वजह

खुश रह.........



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