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shweta duhan Deshwal

Abstract

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shweta duhan Deshwal

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अवकाश

अवकाश

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दौड़ भाग की जिंदगी से थोड़ी निजात चाहिए,

मेरी भी तमन्ना है एक अवकाश मिलना चाहिए। 


कर सकूँ शौक सारे पूरे थम कर सांस ले सकूँ,

कुछ वक़्त गंवा सकूँ नींद का लुत्फ उठा सकूँ,

एक अवकाश चाहिए टूटी तमन्नाओं जोड़ने के लिए!

एक अवकाश चाहिए तमन्नाओं को हकीकत बनाने के लिए!


जी पाऊँ अपने लिए स्वयं के लिए सोच सकूँ,

प्यार के लिए वक़्त हो इज़हार किसी से कर सकूँ,

एक अवकाश चाहिए गम सारे खुशी में बदलने के लिए!

एक अवकाश चाहिए स्वयं को हासिल करने के लिए!


चेहरे को ही नहीं दिल को भी पढ़ सकूँ,

तितली जैसे फूल से मधु चुन सकूँ,

एक अवकाश चाहिए टूटे रिश्ते को सँवारने के लिए!

एक अवकाश चाहिए जिंदगी खुशनुमा बनाने के लिए!



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