विषतुल्य हो जब बातें
विषतुल्य हो जब बातें
दिल पर घात जब लगे,
मानव में पशुता दिखे,
ज्वाला प्रतिहिंसा जले,
संत से असंत बनें।
घाव जब कुरदने लगे,
शत्रुता पथ बड़ने लगे,
विषतुल्य हो जब बातें,
तब प्रेम मंत्र मिटने लगे।
