उठे थे दुआ के लिए हाथ कल जो, वही वार करते हैं अब खंजरो से। उठे थे दुआ के लिए हाथ कल जो, वही वार करते हैं अब खंजरो से।
हुआ है निष्ठुर मनु का पूत, ध्वंस की जारी है करतूत ! हुआ है निष्ठुर मनु का पूत, ध्वंस की जारी है करतूत !
विषतुल्य हो जब बातें, तब प्रेम मंत्र मिटने लगे। विषतुल्य हो जब बातें, तब प्रेम मंत्र मिटने लगे।