विश्व हिंदी दिवस
विश्व हिंदी दिवस
मेरे जज्बातों को जो शब्दों में
ढाल देती है
मेरी भावनाओं में जो मुखरित होती है
किस खूबसूरती से मन के भावों को,
जो कागज पर उतार लाती है
एक ही शब्द के कई अर्थ निकाल लाती है
मेरी अभिन्न सखी कोई और नहीं
मेरी प्यारी हिंदी है!
हिन्दी! तुम केवल भाषा नही
भावनाओं की मुखरित तस्वीर हो
खुशी और ग़म
जिंदगी और हम
राजनीति और इतिहास
व्यक्त्ति और समाज
हर वर्ग के शब्दों से लबरेज हो
देवताओ के मुख से निसृत
तुम स्वर्गलोक से आई हो
कितना विशाल हृदय तुम्हारा
हर भाषा के शब्दो
अपने में समाई हो
भारत वर्ष की मातृभाषा
तुम देवनागरी कहलाई हो
तुम रस-प्लावित शब्दों से
मन में श्रंगार जगाती हो
अपने ओजस्वी शब्दो से
वीरो का तेज बढाती हो
सर्व भाषाओं को आत्मसात कर
गागर में सागर भर ज़ाती हो
इसीलिए तो भारत की
राष्ट्र भाषा कहलाती हो!