"विनय"
"विनय"
मिटे षट विकार,
प्रभु चरणों में लगे ध्यान।
हो परोपकार की भावना,
बढ़ाये देश की शान।
शील,दया, सहिष्णुता,
रहे भरपूर।
देश पै न आंच आवें,
बने ऐसे शूर।
बुराई पर हमेशा,
अच्छाई की हो जीत।
दशहरा मनायें,
कोई रहें न भयभीत।।
मिटे षट विकार,
प्रभु चरणों में लगे ध्यान।
हो परोपकार की भावना,
बढ़ाये देश की शान।
शील,दया, सहिष्णुता,
रहे भरपूर।
देश पै न आंच आवें,
बने ऐसे शूर।
बुराई पर हमेशा,
अच्छाई की हो जीत।
दशहरा मनायें,
कोई रहें न भयभीत।।