विकसित-सुन्दर मन
विकसित-सुन्दर मन
हर क्षण अपमान का घूँट पी
चुपचाप तपी होगी जीवन मे वह स्त्री
कितना संयम रखा होगा उसने मन का नकेल कसा होगा कितना
कठिनतर जीवन को आसान कर लेना आसान नहीं होता
आसान नहीं होता आराम से जी लेना
मर-मर के ज़िंदगी को आसान कर लेना
आस-पास की गिद्ध-दृष्टि से बचते- बचाते अपने को
आगे बढ़ते जाना आसान नहीं होता
पति की घोर प्रताड़ना
सास-श्वसुर का अत्याचार आत्मसात कर
संघर्ष पथ पर आगे बढ़ते जाना चुपचाप आसान नहीं होता
न कभी वाणी मे तिक्तता न कभी अशोभन व्यवहार
रस से भरती रही अपना संसार
वास्तविक प्रेम करने का उसका आत्मबल
मन रहा निश्छल धरती से बड़ा होगा उसका मन
बड़ा खूबसूरत होगा उसका मन
सच मे वह स्त्री कितनी सुन्दर होगी
वह माँ होगी या साक्षात् प्रकृति
आपने या मैने क्या ऐसा कोई साक्षात्कार किया है ?
क्या सौ-सौ बार नमन किया है
चुपचाप संयम- साधना पथ पर अग्रसर
बेहतर परिवार-समाज का निर्माण किया होगा जिसने
उसका मन अथाह रस से भरा होगा
प्यार मे डूबा होगा सच मे बड़ा विकसित होगा उसका सुंदर-मन।
