कविता
कविता
हर क्षण अपमान का घूँट पी चुपचाप तपी होगी जीवन मे वह स्त्री /
कितना संयम रखा होगा उसने, मन का नकेल कसा होगा कितना,
कठिनतर जीवन को आसान कर लेना आसान नहीं होता /
आसान नहीं होता, आराम से जी लेना / मर-मर के ज़िंदगी को /
आसान कर लेना, आस-पास की गिद्ध-दृष्टि से बचते- बचाते अपने को,
आगे बढ़ते जाना आसान नहीं होता, पति की घोर प्रताड़ना,
सास-श्वसुर का अत्याचार आत्मसात कर, संघर्ष पथ पर आगे बढ़ते जाना चुपचाप,
आसान नहीं होता / न कभी वा
णी मे तिक्तता / न कभी अशोभन व्यवहार,
रस से भरती रही अपना संसार / धरती से बड़ा होगा उसका मन, बड़ा खूबसूरत होगा उसका मन,
सच मे वह स्त्री कितनी सुन्दर होगी / वह माँ होगी / या साक्षात् प्रकृति /
आपने या मैने क्या ऐसा कोई साक्षात्कार किया है ? क्या सौ-सौ बार नमन किया है /
चुपचाप संयम- साधना पथ पर अग्रसर / बेहतर परिवार-समाज का निर्माण किया होगा जिसने,
उसका मन अथाह रस से भरा होगा, प्यार मे डूबा होगा / सच मे बड़ा विकसित होगा उसका सुंदर-मन।