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Anita Sharma

Abstract

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Anita Sharma

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विजयी भव

विजयी भव

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मुश्किलें किसके जीवन में नहीं आतीं 

ये दृढ़ता से समझना होगा 


खुद की कोशिश नाकाम नहीं होतीं

विजय पथ पर खुद अग्रसर होना होगा


जब कोई अपने हिसाब से लड़ता जाता है 

कुछ बेख़ौफ़ बढ़ते रहते हैं 


कुछ थक हार मान लेते हैं 

कुछ सहारों की तलाश करते हैं 


कुछ टूट कर बिखर जाते हैं 

मुश्किलों का अफ़सोस न करना 


ये तो ज़िन्दगी का अबूझ हिस्सा है 

अगर मगर में क्या बंधक होना 


हर सफलता से जुड़ा एक कठिन किस्सा है 

आसमाँ की लगन गर लगी है तो 


ज़मीन से जुड़कर रहना होगा

कर्म को बली करो, भेद लो चक्रव्यूह 

उस जीत का फिर, क्या कहना होगा।


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