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लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव

Abstract

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लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव

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'वीरों का अभिनंदन'

'वीरों का अभिनंदन'

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शत शत वंदन वीरों का अभिनंदन,

जो भारत वर्ष पर हो गए बलिदान।

गोली खाए लाठी खाए जान गवाएं,

राष्ट्र को दिए आज़ादी का वरदान।


भगत सिंह, आजाद, सुखदेव, जैसे,

अनगिनत देशभक्त हो गए कुर्बान।

वर्षों से गुलाम रहा जो अंग्रेजों का,

संघर्षों से स्वतंत्र कराया हिंदुस्तान।


सन सैतालिस में मिली हमें आज़ादी,

सन पचास में लागू हुआ है संविधान।

अपनी अभिलाषा से रहने कार्य को,

ख़ुशहाल बना भारत का हर इंसान।


कितनी माँओ ने खो दिए अपने बेटे,

देशभक्तों ने बदली अपनी पहचान।

गाँव कस्बों में घूम घूम इन वीरों ने,

दिलाई आज़ादी, भारत बना महान।


कितने देशभक्त क़ैद हुए जेलों में,

आज़ादी के राह में आए व्यवधान।

अंग्रेजों ने घोर यातना दी वीरों को,

कदम न हटाए हमारे नव जवान।


सैकड़ों लोगों का न है नाम निशान,

स्वतंत्रता लाने में दे दी अपनी जान।

राष्ट्रीय दिवस पर याद करें वीरों को,

प्राण दे, आज़ादी ला, किया एहसान।


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