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Sri Sri Mishra

Inspirational

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Sri Sri Mishra

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वह दुल्हन सी

वह दुल्हन सी

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दुल्हन सी सजी है आज श्री राधे

श्याम निहारे बांके तिरछे

कभी पूरे कभी आधे

फैल रही चारों दिशाओं में


इनकी खुशबू भीनी थोड़ी-थोड़ी

अद्भुत छटा है जो सांँवरे गोरी की जोड़ी

यह सच्चे प्रेम श्री राधे का ईनाम है

जो लेते पहले कृष्ण से उनका नाम है


गर कान्हा व्योम की खाली बदली है

तो श्री राधे बारिश की बूंँद हैं

गर सांँवरा अमावस की रात है

तो श्री श्री पूनम का चांँद है

वो बांके तिरछा सीप है तो


तो श्री उस सीप का मोती हैं

उन कुंज गलियों में खुशबू

जो बिहारी जी की आती है

तो उस खुशबू की महक में


श्री श्री राधे की मौजूदगी पाई जाती है

पल्ले पत्ते पल्लव और कण-कण में

गर ठाकुर जी वृंदावन में विराजते हैं


तो श्री श्री राधे जी के साथ 

श्याम को आधे मन में पाते हैं

श्याम को आधे मन में पाते हैं

वह श्री के नूपुर की प्रेम भक्ति की रुमझुम

मिलन व्यथा कहती बांके वंशी की हर धुन।


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