वैविध्य संग्रह से अनजान डगर के
वैविध्य संग्रह से अनजान डगर के
अनजान डगर के राही,
अनजान डगर के राही, सब
अनजान डगर के राही,
न जाने आना न जाने जाना
एसे डगर के राही, हम सब
अनजान डगर के राही,
सत्य सदैव जाना
जिसका हुआ है आना
न साथी – संगाथि
जैसे आये वैसे ही जाना
बने कई पृथ्वि वल्लभ
फिर भी सबका खाली हाथ जाना
रहे कौन सदैव यहाँ
जहाँ कोई ना किसी का
सब अनजान डगर के राही
यहाँ हम सब
अनजान डगर के राही।