STORYMIRROR

Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

4  

Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

वैरागी कौन

वैरागी कौन

1 min
38

जो लोग बातें वैराग्य की करते है

पर मन से वो वैरागी नहीं बनते है

यदि मन से हो जाते वो वैरागी

न दिखावे की होती उनकी वादी,

सच में वो ख़ुदा को पा जाते,

जो हृदय को निष्कपट रखते है

लोग कपड़े पहनते है साधू के,

मन से वो कभी नहीं सुधरते है


ऐसा चोला भी किस काम का,

जो पहन लोगो की बर्बादी करते है

इससे अच्छा तो ये होता साखी,

कोई शख्स नहीं करता शादी

मन साधू जिनका, जग-कीचड़ में

वो कमल बनकर खिलते है

काम वो ही ज़माने में नेक है

दिखावे का नहीं जो लेख है


वो लोग ही महान बनते है,

जो हृदय से वैरागी बनते है

लोग बातें वैराग्य की करते है

वो शख्स सच मे साधू है,

दिखावे का नहीं खाते आलू है


पर-पीर जानने वाले ही,

ख़ुदा के अच्छे दोस्त बनते है

सच छिपाया नहीं जाता है,

झूठ बताया नहीं जाता है,

पर कुछ लोग आजकल ऐसे है,

झूठ को बता रहे वो सच जैसे है


पहन रखे कपड़े उन्होंने उजाले,

पर हृदय में वो विष रखते है

जो लोग बाते वैराग्य की करते है,

आग में जो है शबनम जैसे,

शूलों में जो है गुलाब जैसे, 

बिना वस्त्र पहने ही वैरागी के,

वो सचमुच में वैरागी बनते है



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational