वाणी
वाणी
वाणी वाणी का खेल है सब
वाणी वाणी से मेल है सब
यह वाणी है देन रब की
सजग रहना होना हीं सबको
वाणी से कहीं बैर तो न है।।
कही विवेकानंद की वह वाणी
धरा पर जयघोष सुनाती है
तो कहीं गाँँधी की अनुपम वाणी
अतिवादियोंं को दूर ले जाती है
वाणी वाणी का खेल है सब।।
समय ने करवट ऐसी बदली
बदल गई निति रीति हीं सारी
वाणी अब आग लगाती
मानव मानव को लङवाती है
वाणी वाणी का खेल है सब।।
वाणी वाणी का मोल बङा है
इसको बस अनमोल बूछ लो
यह प्रीत की नई धार बनाती है
समय की सीख यह है बंधु
वाणी मीठी यार यारी बढाती है,
वाणी वाणी का खेल है सब।।