वाह रे क्या किस्मत है तेरी
वाह रे क्या किस्मत है तेरी
वाह रे ! क्या किस्मत है तेरी,
आखिर एक औरत जो ठहरी,
बन कठपुतली,
कभी इस डोर तो कभी उस डोर,
ज़िन्दगी का ना कोई और छोर।
कभी आँसुओं का सहारा,
तो कभी मायूसी का किनारा,
खुशियों से क्या उम्मीद करे तू,
गमों ने भी छोड़ा साथ तेरा।
अपनों का तो साथ ही नहीं,
बस पराया शब्द है तेरा,
क्या यही किस्मत है तेरी,
रूठी सी है तकदीर तेरी।
वाह रे ! क्या किस्मत है तेरी।
सपनों को जो टूटते देखा तूने,
आंसुओं का समुंद्र भरा नैनों में तेरे,
साहिलों से जो माँगा सहारा तूने,
लहरों ने भी मुंह फेरा तुझसे।
वाह रे ! क्या किस्मत है तेरी।
आखिर एक औरत जो ठहरी।।
