किताबें कुछ कहती हैं मुझसे
किताबें कुछ कहती हैं मुझसे
किताबें कुछ कहती हैं मुझसे,
कि मुझ में क्या नहीं है,
मुझ में हैं ये सारी सृष्टि,
मुझ में हैं ये सारी प्रकृति।
जानना चाहो जो तुम,
वो सब कुछ है मुझ में,
मुझ में बसी विद्या देवी,
मैं ही हूं विद्या का सागर,
डूब जाओ इस सागर में,
बन जाओ तुम भी ज्ञानी।
किताबें कुछ कहती हैं मुझसे,
मेरे बिना है हर शिक्षा अधूरी,
मेरे बिना है हर कहानी अधूरी,
मुझमें है ये इतिहास सारा,
मुझमें है ये समाज सारा।
मुझमें है इतनी शक्ति,
बना दूं सभी का जीवन सफल,
कर दूं वो हर काम आसान,
इतनी हूं मैं महान।।
