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अजय एहसास

Tragedy

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अजय एहसास

Tragedy

वादें

वादें

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उनके सिक्के तो चल गए भाई,

सत्ता पाकर बदल गये भाई।


वादे करके यूं इरादों को बदल डाले हैं,

आप तो हमको छल गए भाई।


पहले हाथों को थाम हाथ मिलाते हमसे,

अब तो हाथों से मेरे क्यों निकल गए भाई।


वो तो बाज़ार गरम था जी उनके वादों का,

खोटे सिक्के जो यहाँ थे वो चल गए भाई।


कहते थे आप समय को मैं बदल दूंगा जी ,

मगर क्या आप तो खुद ही बदल गए भाई।


इतने सुकुमार बन गए वो चैन सुख पाकर,

पानी हाथों पर पड़ा और वो जल गए भाई।


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