उसने कहा
उसने कहा


उसने कहा,
मैं तुमको खुश देखना चाहता हूँ
मैंने पूछा कैसे ?
उसने कहा,जैसे वो चाहे,
मैं मुस्कुरायी,
फिर पूछा
तुम क्या चाहते हो ?
उसने कहा, तुम्हारी खुशी
मैंने पूछा,
मेरी ख़ुशी किसमें होनी चाहिए
उसने कहा,जिसमे वो ख़ुश हो,
मैं फिर मुस्कुरायी
उसने कहा,
मैं चाहता हूँ तुम अपनी मर्ज़ी से जिओ
मैंने पूछा मेरी मर्ज़ी क्या है
उसने कहा,जो उसकी मर्ज़ी है
मैं फ़िर मुस्कुरायी
उसने कहा, मैं चाहता हूँ तुम उड़ो
मैंने पूछा मेरा आसमान कहाँ है
उसने कहा,जहाँ तक मैं तय करू
मैं फ़िर मुस्कुरायी
उसने कहा,
तुम मुस्कुराती हुई ही अच्छी ल
गती हो,
तुम्हारा उदास चेहरा,
मुझे अच्छा नही लगता,
मैं फ़िर मुस्कुरायी,
पी गयी ये बात,
कि मुझे सलीके से मुस्कुराना नही,
दिल खोल के खिलखिलाना पसन्द है
मगर मैं सिर्फ मुस्कुरायी,
और बढ़ गयी रसोईघर की तरफ,
मैंने पूछा, नाश्ते में क्या खाओगे
उसने कहा,
जो तुमको पसंद हो,
जो तुम्हारी मर्ज़ी
मैं फ़िर मुस्कुरायी
मैंने बनाये उसकी पसन्द के,
आलू प्याज़ के परांठे
ये भूल कर कि,
मुझे नाश्ते में राई और करी पत्ते के तड़के वाला
पोहा पसन्द है,
क्योंकि मुझे याद था,
पिछ्ली बार परांठे की जगह
पोहा बनाने का हादसा।