उस दिन महिला दिवस मनाना
उस दिन महिला दिवस मनाना
जब न किसी भी घर-आंगन में,
तुम मुरझाती कलियां पाओ ,
उस दिन तुम यह दिवस मनाना।
कथनी से ही नहीं अपितु तुम,
मन से भी लिंगभेद मिटाओ,
उस दिन तुम यह दिवस मनाना।
टूटे गर्व श्रेष्ठता का जब,
नर - नारी समान तुम पाओ,
उस दिन तुम यह दिवस मनाना।
तोड़ सको दहलीज का बंधन,
अवसर जब समान दे पाओ,
उस दिन तुम यह दिवस मनाना।
पत्नी,बहन,माँ और बेटी का,
थोड़ा सा तुम हाथ बंटाओ,
उस दिन तुम यह दिवस मनाना।
नहीं तुम्हारे बस का कुछ भी,
कहकर ना तुम दर्प दिखाओ,
उसदिन तुम यह दिवस मनाना।
काट बेड़ियां नारी की सब,
जब स्वच्छंद उड़ान दे पाओ,
उसदिन तुम यह दिवस मनाना।
थोप स्वयं की जिम्मेदारी,
उसकी स्वतंत्रता तुम न चुराओ,
उसदिन तुम यह दिवस मनाना।
कर्तव्य मात्र का गीत न गाकर,
उसके अधिकार समझ तुम पाओ,
उस दिन तुम यह दिवस मनाना।
संघर्ष-जीत पर स्त्री की तुम,
अपना मन कुंठित ना पाओ,
उस दिन तुम यह दिवस मनाना।
जब नारी की क्षमताओं का,
ह्रदय से तुम स्वागत कर पाओ,
उस दिन तुम यह दिवस मनाना।