उफ्फ्फ्फ़ ये पत्नियाँ भी ना
उफ्फ्फ्फ़ ये पत्नियाँ भी ना
"यार सुरेश, तू आज भी लंच में मटरपनीर लाया है, सात दिन से तेरी पत्नी के हाथ का मटरपनीर खाकर मैं तो असली मटरपनीर का स्वाद ही भूलने लगा हूँ!"
ऑफिस में लंच के समय अधीर ने सुरेश से कहा तो सुरेश ने अपनी व्यथा बताई,
"क्या बताऊँ यार,एक दिन पड़ोस की नीलिमा मटरपनीर की सब्जी देकर गई जो बहुत स्वादिष्ट बनी थी।मैंने ज़्यादा तारीफ कर दी तबसे मेरी पत्नी यही सब्जी रोज़ खिला रही है,ताकि मैं सिर्फ उसके हाथ का स्वाद
याद रखूँ नीलिमा के हाथ का नहीँ"
सुरेश की व्यथा वाकई सोचनीय है।