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V. Aaradhyaa

Abstract

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V. Aaradhyaa

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उनका स्वाभिमान

उनका स्वाभिमान

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अयोध्या नगरी बनी सबकी मनभावन,

ज़ब से राम लला का हुआ आगमन !

प्रीत प्रेम सौहार्द की इस देवनगरी में,

मर्यादा पुरुषोत्तम का हुआ पदार्पण !


स्वाभिमानी के हठ ने जब ली ठानी,

बाबरी बनी अब बीते युग की कहानी !

तप-त्याग तपस्या के असीम बल पर,

रामचंद्र जी ने वनवास से हार न मानी !


प्रतिष्ठा जब हम सबकी दांव पर लगी,

तभी तो दृढ़ संकल्प में पूर्ण आस जगी ! 

उल्लासित होकर पूरी कायनात झूमी है,

प्राणप्रतिष्ठा में,अयोध्या को उसने चूमी है !


राममय हुई अब सारी बाग बहारें हैं ,

अटल-अडिग विश्वास भला कब हारे हैं !

युग मिथ्या दंभ-अहंकार का बीत गया,

अब अयोध्या धाम में श्री रामजी पधारे हैं !


नई भोर की, नई कोपल सी लालिमा में,

अब रामलला अपना पूर्ण प्रताप दिखाएगें !

फिर भला कहो काशी-मथुरा क्यों घबराएंगे,

राम लला समस्त प्रदेश में विराजने आएंगे।



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