उम्र ने तलाशी ली
उम्र ने तलाशी ली
उम्र ने तलाशी ली तब जाना हमने
मन तो हमें ठगता रहा सारी उम्र,
कभी कर्तव्य की उन जंजीरों में ,
तो कभी अधिकारों के लालच में,
जिनमें हम आज भी उलझे हुए हैं,
रिश्ते जो आज तक सुलझे नहीं है,
उम्र ने तलाशी ली तब जाना हमने
मन तो हमें ठगता रहा सारी उम्र,
उन रिश्तों को निभाने के लिए हम
आज भी उन रिश्तों उलझे हुए हैं,
उम्र तो रफ्तार से बढ़ती चली गई,
जब पलटकर देखा तो वहीं खड़े हैं,
उम्र ने तलाशी ली तब जाना हमने
मन तो हमें ठगता रहा सारी उम्र,
कुछ रिश्तों ने साथ निभाया और,
कुछ छोड़कर बहुत दूर चले गए,
हम तो उन किनारों की तलाश में,
आज भी मझधार में फंसे हुए हैं,
उम्र ने तलाशी ली तब जाना हमने
मन तो हमें ठगता रहा सारी उम्र !