उम्र और नसीब
उम्र और नसीब
उम्र भर नसीब हमें इशारों पर नचाता है
साया बुरे कर्मों का जीवन भर सताता है
कुछ मिलता नहीं है वक्त से पहले कभी
सभी की किस्मत का मालिक विधाता है
बढ़ गया है जो आगे पाप की बैशाखी पर
अतीत उसका उसे जिंदगी भर डराता है
खेने के लिए कश्ती हुनर होना चाहिए
तजुर्बेकार मांझी ही बेड़ा पार लगाता है
एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में
इंसान जो हुनर नए जल्दी से अपनाता है
जो साबित करता है काबिलियत अपनी
जन्म मरण की दौड़ में वही बच पाता है
मुसीबत में आवाज सुनो अपने मन की
विवेक हमारा हमें गलतियों से बचाता है
सब्र खोना मत कभी निराशाओं के अंधेरे में
हो अगर हौसला वो हर बाधा पार कराता है
लड़ता है जो इंसानियत और नेकी के खातिर
गर्दिश में ईश्वर उसका हरदम साथ निभाता है।