Pandav Kumar

Abstract

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Pandav Kumar

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उम्मीद

उम्मीद

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उल्काएं गिरती है तो गिरे

सिर्फ मेरा घर नहीं जलने वाला

यहां कोई खुदा नहीं आने वाला


दुख के साए में हम हैं

तो कल कोई और आएगा

मन्हुसियत सिर्फ मेरे हिस्से नहीं रहने वाला


आज खुश है वो देखकर 

कि मेरे हाथ दबे हैं,पर

वक़्त हमेशा एक नहीं रहने वाला


प्यास लगी हो तो उपाय ढूंढ़ो

यहां समंदर नहीं आने वाला

वक़्त का तकाज़ा तो देखो

यहां रेत भी निचोड़ा जाएगा!


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