उम्मीद तो है
उम्मीद तो है
उम्मीद एक शब्द भर नही है
शास्त्र भर नही है
शस्त्र भर नही है
एक तकनीक भी है
जीने की।
ये मिल सकती है आप को
किसी वाक्य में,
किसी किताब में,
किसी जीवन में,
थकान में स्फूर्ति सी
खामोशी से गुनगुनाती हुयी।
जीवन से रूबरू होने का
एक अद्भुत जज्बा है उम्मीद।
आप ने सुना होगा
बिना पांव चलने की उक्ति
बिना कान सुनने की कहानी
बिना कुछ किये ,काम होने की बात।
लेकिन हमारी उम्मीद ने सब देखा है
देखने और सुनने के फर्क को
अगर आप महसूस करें तो
इनकी अपनी अपनी दुनिया है
सुनने की अपनी दुनिया
देखने की अपनी दुनिया
जैसे कि आजकल दोनों उलझी हुयी हैं आपस में।
यकीनन जीवन भी उलझ गया है
इनकी उलझन में
लेकिन उम्मीद इन सबसे बिरक्त
रूबरू है जीवन के
आसक्ति है जीने की कोई कुछ भी कहे
पर ये है
जीवन मे और सक्रिय है।
