उलझे हुए अल्फ़ाज़
उलझे हुए अल्फ़ाज़
नहीं लिखता उलझे हुए अल्फ़ाज़ दोस्तों
क्योंकि मुझे घुमा फिरा के बात करना नहीं आता
लिखता हूं वो जो समझ सके सब
मुझे उर्दू मैं गुफ्तगू करना नहीं आता
मुझे घुमा फिरा के बात करना नहीं आता
जिन गलियों के बारे मेें मुझे खुद पता नहीं है
उन रास्तों पे किसी और को भेजना नहीं आता है
स्ट्रेट फारवर्ड बोल देता हूं जो मुंह में आता है
छोटी-छोटी बातों को दिल में रखकर घुटना नहीं आता
झुक जाती हूं कुछ रिश्तों के आगे
क्योंकि मुझे रिश्तों को ईगो में तोलना नहीं आता
मुझे घुमा फिरा के बात करना नहीं आता
अपनी सेल्फ रिस्पेक्ट से भी प्यार है मुझे
इसलिए मुझे किसी कि बैटेरिंग करना नहीं आता है
अच्छा हूं बुरा हूं जैसा भी हूं ऐसा ही हूं
क्योंकि किसी के लिए मुझे खुद को बदलना नहीं आता
मुझे घुमा फिरा के बात करना नहीं आता
सबसे गहरा रिश्ता है मेरे मां-बाप से मेरा
मुझे दुनिया का कोई रिश्ता समझ नहीं आता
मुझे घुमा फिरा के बात करना नहीं आता।