STORYMIRROR

Satyajit Swain

Abstract

3  

Satyajit Swain

Abstract

उजाला

उजाला

1 min
426


हरतरफ़ अंधेरा है, अब थोड़ा उजाला चाहिए

नफ़रत का नशा नहीं, इश्क़ का प्याला चाहिए 

दोस्ती की नाम पर स्वार्थी नहीं चाहिए हमको, 

सुदामा को अपनानेवाला वो गोपाला चाहिए।।


सबको एक साथ पिरोनेवाली प्रेम का माला चाहिए 

प्रेम की मधुर धुन छेड़नेवाली सुर निराला चाहिए

नफ़रत की दरवाजा को जो बंद करदे उम्र भर, 

कभी ना टूटने वाला हमको ऐसा ताला चाहिए।।


जिंदगी की हर राह पर हाथ थामने वाला चाहिए 

हरतरफ़ अंधेरा है, अब थोड़ा उजाला चाहिए।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract