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Satyajit Swain

Romance

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Satyajit Swain

Romance

*क्या हुआ गर तुम ना मिले*

*क्या हुआ गर तुम ना मिले*

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क्या हुआ गर तुम ना मिले 

प्यार के दो फूल ना खिले 

मेरा घर रोशनी से आबाद रहा, 

भले ही मोहब्बत के चिराग ना जले ।।


यूँ तो तुम्हें पाना इस दिल की ख्वाहिश थी 

उसकी चाहत के आगे मैंने झुकाई शीस थी 

पर क्या हुआ जो मेरी दिल की सरहद को तुम लाँघ चले, 

क्या हुआ गर तुम ना मिले।।


दिल के टुकड़े फिर से जोड़कर 

मैंने फिर एक महल बनाया ।

जिसकी दिवार कभी मेरे आंसू से होते थे गीले, 

क्या हुआ गर तुम ना मिले।।


अब ना तुमसे कोई फरियाद है 

बस दिल में तुम्हारी याद है 

मिट गये जो थे कभी तुमसे कोई शिकवे , गिले, 

क्या हुआ गर तुम ना मिले ।।



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