उद्बोधन
उद्बोधन
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उठो जवान देश के,
तराने गाओ रे।
जो पड़े प्रमाद में,
उनको जगाओ रे।।
अखण्ड और प्रचण्ड तुम,
पुरुषार्थ करो रे।
अन्याय और अनीति से,
कभी न डरो रे।।
राष्ट्रगीत राष्ट्रगान ,
नित्य गाओ रे।
वंदे मातरम् की तुम,
धुन सुनाओ रे।।
तुम जो चल पड़ोगे तो,
यह देश चलेगा।
तुम जो बढ़ चलोगे तो,
यह देश बढ़ेगा।।
मां भारती की शान को,
तुम बढ़ाओं रे।
योग - प्राणायाम की,
अलख जगाओ रे।।
कहे जगदीश राष्ट्रहित में,
काम करो रे।
देश के लिए जिओ,
और मरो रे।।
उठो जवान देश के,
तराने गाओ रे।
जो पड़े प्रमाद में,
उनको जगाओ रे।