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Swati Tyagi

Inspirational

3  

Swati Tyagi

Inspirational

तज़ुर्बे

तज़ुर्बे

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ज़िंदगी कितना कुछ सीखा जाती है

बेवजह की ख़ुशी भुला जाती है

जाने कब हमें बड़ा कर जाती है


सारे साल इंतज़ार तो करते है

पर बारिश में नाव नहीं बनाते

छतरी ढूँढ़ते है


पूरी सर्दी राह तो तकते है

पर धुप में खेलने नहीं जाते

छाँव खोजते है


माफ़ तो करते है

पर फिर भरोसा नहीं कर पाते

आँख कान खुले रखते है


समझदार तो हो जाते है

हम अब धोखा नहीं खाते

भरोसा करना छोड़ देते है


पहले मासूमियत भुलाते है समझदारी के लिये

फिर नासमझ बनने के सपने सजाते है

अच्छे है या बुरे है

ज़िन्दगी के तज़ुर्बे कहलाते है


ज़िंदगी कितना कुछ सिखा जाती है

बेवजह की ख़ुशी भुला जाती है

जाने कब हमें बड़ा कर जाती है



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