तूफान
तूफान
तूफान आए हैं आते रहेंगे
सब बिखरे हैं,बिखरते रहेंगे
किधर जाओगे?कब तलक भागोगे,
सोचा है कभी, क्या पाओगे?
पेशानी की लकीरें कह रही हैं कुछ और।
दरख़्तों के आशियाने बन रहे हैं जिस ओर।
बादल टूटेंगे बस उस ओर
बगिया महकेगी चहुँ ओर
फुर्सत ढूंढ लाओ कुछ और।
तुम पाओगे हमें हर ओर
गर ठान लो पुरजोर।