तू
तू
तूने कहा कुछ,
तेरी जुबां मेरे साज़ बन गई।
तुझे चाहते-चाहते,
तू मेरी हमसफ़र-हमराज़ बन गई।
कोशिश की है तुझे भुलाने की,
मगर तू मेरी तन्हाई की आवाज बन गई।
इश्क किया है तुमसे,
तुम मेरे दर्द की राजदार बन गई।
बहुत ग़ज़लें लिखीं हैं मैंने,
तू तो मेरी ग़ज़लों के अल्फाज़ बन गई है।