जख्म
जख्म
वो देते रहे, हम लेते रहे
इस तरह जख्मों से
अपनी झोली भरते रहे ।
खुशकिस्मत हैं हम
कि उन्होंने कुछ तो दिया
इस तरह हमारी वफा का
कुछ तो सिला दिया ।
उन्हें मिले तमाम खुशियां
हमारे हिस्से में आयें दुश्वारियां
इस तरह मंजूर हैं हमें
मेरे यार की यारियां ।।