बहुत बेशकीमती हो तुम !
बहुत बेशकीमती हो तुम !
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बहुत बेशकीमती हो तुम!
तुम्हें बताना भी नहीं है,
तुमसे छुपाना भी नहीं है।
मेरी खूबसूरती का राज़ हो तुम,
जिंदगी जीने का अंदाज़ भी हो तुम।
नाराज़ भी हूं तुम्हीं से,
बेपनाह मुहब्बत भी तुम्हीं से,
आज़ादी, तुमसे मिली भरपूर,
और प्यार भी,
जिंदगी जीने के अरमान भी।
बहुत बेशकीमती हो तुम !
जीवन को एक नया अर्थ दिया है तुमने,
लोहे को खरा सोना किया है तुमने,
गर्व से कहीं, तुम चूर न हो जाओ ,
इसलिए तुमसे छिपाना भी है,
और प्यार जताना भी है।
बंधन किसे पसंद है?
फिर भी खुद से बांध रखा है तुमने।
बहुत बेशकीमती हो तुम!