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kishor zote

Abstract

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kishor zote

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तू उम्मीद की भोर

तू उम्मीद की भोर

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तू उम्मीद की भोर


अपने ही संसार में

खोने लगते यार

खुद को भुला के

देख ले एक बार


मैं और सिर्फ मेरा

ऐसा हरदम मत कर

अंधेरा जब घना होता

मुट्ठी में कुछ जुगनू धर


अपने लिए तो जीते सब

मत बन तू जानवर

दे खुशियाँ किसी को

ऐसी मुस्कुराहट भर


बाहों में समा ले आसमान

ऐसी पकड़ ले तू डोर

किसी के लिए बना जा

तू उम्मीद की भोर




ଏହି ବିଷୟବସ୍ତୁକୁ ମୂଲ୍ୟାଙ୍କନ କରନ୍ତୁ
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