तू कह दे
तू कह दे
तू कह दे, कह दे मुझसे, जो भी, जो भी तेरे इरादे हों
कल सांसद हम ना हों, बस ज़हन में मेरी यादें हों।
सभी लोग जब साथ में बैठें और पूनम वाली रातें हों
तब यारों की सूनी महफ़िल में शायद मेरी बातें हों।
दर-दर पर मेरी खातिर भी शायद तब फरियादें हों
कल को जब हम ना हों, बस ज़हन में मेरी यादें हों।
हमने आज तलक ना बदला अपना मकान वो बहुत पुराना
कल को वापस आने पर तुम शायद ढूंढ़ो मेरा ठिकाना
है अटूट विश्वास हमें, झूठे-सच्चे जो भी तेरे वादे हों
कल को जब तुम ना हो, बस ज़हन में तेरी यादें हों।
जब तन्हाई के मंजर लेकर हम कभी शाम को गली में निकलें
तब एक-एक कर यादों वाले सारे पत्थर दिल में पिघलें।
सारी रात लिखें खत तुमको, सुबह को पन्ने सारे सादे हों
कल को जब तुम ना हो, बस ज़हन में तेरी यादें हों।