तू नशा एक ऐसा...
तू नशा एक ऐसा...
तू नशा एक ऐसा की मैं तलबगार
जैसे शराबी बस ढूंढे मैखाने का किरदार
एक अदा की खातिर यूं बर्बाद हुए
जमाने में सारे हम बदनाम हुए
ना वफा की उम्मीद ना बेवफाई का डर
ये कैसा है मुझ पे आजमाइश का कहर
तस्बी में पढ़कर रखता हूं तेरा हर एक नाम
तुम्हें देखने की बेबसी में गुजरती हर एक शाम
एक इल्तिजा है तुमसे बस ख्वाब में सही
मिलो तो इस दीवाने को दीदार सा हो जाए
बिन तेरे अजब सा ये हाल क्या बतलाए
तेरा नाम गुनगुनाए, तेरा नाम गुनगुनाए...