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Abhay pandey

Romance

4.5  

Abhay pandey

Romance

तू बता और मैं क्या लिखू

तू बता और मैं क्या लिखू

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अपने इश्क़ का एक अलग मैं फरमान लिखूँ

तुझको सुबह और खुद को इसमें शाम लिखूँ

मोहब्बत की बेपनाहत का एक सुन्दर सा अरमान लिखूँ

तू बता और मैं क्या लिखूँ, तू बता और मैं क्या लिखूँ


जब भी नजर मिलती है, तब धड़कन का संग्राम लिखूँ

तेरे संग बिताये पल को, मैं भाग्य का फरमान लिखूँ

देर तक ना मिले तो भी सही, क्षण भर को मैं जन्मो सार लिखूँ

तू बता और मैं क्या लिखूँ, तू बता और मैं क्या लिखूँ


मुस्कान को तेरी चौदहवीं का मैं चाँद लिखूँ

मोती लिखूँ इन अश्कों को या सफेद आफताब लिखूँ

मुकद्दर चाहे जो हो क्या पता, मैं जीवन तेरे साथ लिखूँ

तू बता और मैं क्या लिखूँ, तू बता और मैं क्या लिखूँ


ये काजल की कालिमा को, मैं शुक्ल पक्ष की रात लिखूँ

बाली को तेरे कानों की, मैं इशारों की बात लिखूँ

झुकी पलकों के उपर, पूरा जीवन कुरबान लिखूँ

तू बता और मैं क्या लिखूँ, तू बता और मैं क्या लिखूँ


इन खूबसूरत होंठों को, मैं गुलाब जैसा लाल लिखूँ

तिरछी नजरों को तेरे, मैं रहस्य सा अनुमान लिखूँ

जमाने को जलाने के लिये, तुझको अपनी जान लिखूँ

तू बता और मैं क्या लिखूँ, तू बता और मैं क्या लिखूँ।


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