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Abhay pandey

Inspirational

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Abhay pandey

Inspirational

कुछ कह नहीं पाया

कुछ कह नहीं पाया

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ना आसमां खाली था, ना जमी पर रह पाया

ना जिंदगी से लड़ सका, ना जिंदगी से कुछ पाया

लोगो के डर से, आँसुओ को छुपाया

लड़का था न यार कुछ कह नही पाया


जिम्मेदारियों तले वो हर बार दबता गया , 

चाहा था, मगर जुबाँ से उफ्फ भी ना आया, 

उसके जज्बातो को दिल के बजाय उम्र से समझा गया

लड़का था न यार कुछ नही पाया, 


लड़कपन में ही उसे, हर लहजा समझाया

समाज में कैसे जीना है, बचपन से बताया 

वो रोता रहा कोने में,

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p;कमरे में जीना किसी ने न बताया

लड़का था न यार कुछ कह नही पाया, 


जब कभी रोना चाहा, रो नही पाया

लोग लड़की कहेंगे, बस यही याद आया

मयखाने जाए भी तो किस गम में,

गम तो था,मगर गम को गम,कभी समझ ना पाया

लड़का था न यार कुछ कह नही पाया


वो नटखट, गोल मटोल, अब जवान हो गया

हर बात पर मुह बनाने वाला, सब कुछ भूल गया

पटर पटर करने वाला, अब शांत हो गया

अब अकेले सब कुछ करने लगा, कुछ बच नहीं पाया

लड़का था न यार कुछ कह नहीं पाय।


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