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Ajay Goswami

Abstract

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Ajay Goswami

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तुमसे सब कुछ तो पाया है

तुमसे सब कुछ तो पाया है

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दुनिया की पहली आस

जीवन की पहली साँस,

दुःख में सुख, सुख में खुशी

हर ग़म में मेरा विश्वास,

मैंने तुमसे सब कुछ तो पाया है।


अहसान यही इस दुनिया में लाने का

ग़म की सारी बातें झुठलाने का,

कितना सोचतीं तुम मेरे लिए तुम

खुद से पहले मुझे खिलाने का,

मैंने तुमसे सब कुछ तो पाया है।


कितना रखती वो मेरा ख्याल

हर रोज बताओ पूरा हालचाल,

सच्चा प्यार आपसे सीखा

बाकी सब है लगता झूठा जंजाल,

मैंने तुमसे सब कुछ तो पाया है।


मैं पास नहीं रहता तो क्या हुआ

फिर भी वो मुझसे दूर नहीं हैं,

है निःस्वार्थ भाव का एक ही रिश्ता

इतना दूजा कोई मशहूर नहीं है

मैंने तुमसे सब कुछ तो पाया है।


मेरी हिम्मत मेरा विश्वास

दुआओं में दवा अटूट आस,

है ईश्वर का दूजा रूप

वन्डर वुमन आपका स्वरूप

मैंने तुमसे सब कुछ तो पाया है।


थाम लूँ हर ग़म आपके वास्ते

क्यूँकी आपकी दुआएँ रहती मेरे रास्ते,

ग़म का साया काफूर हो जाता है

जब जुबां पर माँ का नाम आता है,

मैंने तुमसे सबकुछ तो पाया है।


बहुत रिश्ते देखे दुनियादारी के

कोई नहीं ऐसा ममता प्यारी के,

खुदा का भी वजूद तुमसे शुरू होता है

मुझे मेरी माँ पर गुरूर होता है

आखिर मैंने सब कुछ तो पाया है तुमसे।


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