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Ajay Goswami

Abstract

4.5  

Ajay Goswami

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कोरोना कुछ शब्द

कोरोना कुछ शब्द

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पूछो उन नादान परिंदों से, जिनकी-

उड़ान पिंजरे रोकते हैं, 

ख्वाहिश उनकी भी आसमान नापने की

हम दिल बहलाने को टोकते हैं


इंसान होकर घबरा रहे 21 दिन में

क्या इतने के लिए ही सीना ठोकते हैं

कभी जाना सर्कस के शेर से

क्या लगती है जिंदगी बंद रहने पर 


हम तो निकलेंगे कुछ वक्त से 

वो अपनी जिंदगी को ही कोसते है

देश का बस देश को इतना सा साथ चाहिए,

जहा हैं जिस हाल में हैं, बस वही रह जाइए


जरूरी तो नहीं सब सीमा पर लडें

घर से ही अपनी देश भक्ति दिखाइए

राह ए अंधकार बहुत आते हैं, 

जरूरी तो नहीं सबसे डरकर भगा जाए


जब सोच लें जब जान लें

जब से ही इसको हटाया जाए,

ये दौर जो इतना मचलता जरूर है, 

ये वक्त है सहाब ये बदलता जरूर है।


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