रोहित शुक्ला सहज

Romance

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रोहित शुक्ला सहज

Romance

तुमसे मिलकर हमने अपना

तुमसे मिलकर हमने अपना

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तुमसे मिलकर हमने अपना, सब कुछ तुम पर वार दिया ।

साथ हमारे चलकर तुमने, प्यार मेरा स्वीकार किया ।

स्वर्ग से सुंदर धरा लगे, जब साथ हमारे चलते थे । 

हाथ पकड़कर जब हम दोनों, पग-पग संग में चलते थे ।


बड़ी मुसीबत आई ऐसी, कुछ भी तो ना कर पाए ।

संग में रहकर संग तुम्हारे, एक पग हम ना चल पाए ।


यादें आती हमको हर पल, क्या-क्या हमने खोया है ? 

आहें भरती रहती सांसे, नम आंखों से रोया है ।

जाग-जाग कर रात-रात भर, रातें हमने गुजारी हैं ।

इन रातों में बसती यादें, कुछ तेरी और हमारी हैं ।


सात जन्म तक साथ चलेंगे, कुछ पल भी ना चल पाए ।

हम इस जीवन में भी अपना, प्यार सफल ना कर पाए ।


कुछ पल भी ना हम से कटते, सालों कैसे काटेंगे ।

दूरी तुमसे इतनी बनाकर, कैसे उमर गुजारेंगे ।

सूना सूना लगता है सब, सब कुछ अपना खो बैठे ।

जब जब याद तुम्हारी आई, नम आंखों से रो बैठे ।


लाख दुआएं मांगी हमने, फिर भी तुम ना मिल पाए ।

मिलना तेरा-मेरा सजनी, मंदिर भी ना कर पाए ।


अब तो तय है जीवन मेरा, कुछ ही दिनों का साथी है ।

शायद तेरा मेरा मिलना, बस इतना ही काफी है ।

कोई गिला-शिकायत मुझसे, साफ-साफ तुम कह देना । 

गर हो जाए कोई गलती, बस थोड़ी सी सह लेना । 


'सहज' तेरी रूकती है धड़कन, बस जल्दी से रुक जाए ।

तेरी-मेरी प्रेम कहानी, और यहीं पर थम जाए ।


माँगूँ विदा मैं तुझसे सजनी, साजन तेरा ना बन पाया ।

और तेरी दुनिया में आकर, बस तुझको ही तड़पाया ।

खुश रहना तुम हंस कर रहना, रोना खूब चाहता हूँ ।

लिपट धरा की गोद में सजनी, सोने को मैं जाता हूँ ।


वक्त मिला जो उससे मिलकर, और दुआएं माँगूँगा । 

अगले जन्म में साजन बनकर, संग संग चलना चाहूंगा ।



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