तुम्ही आवाज हो
तुम्ही आवाज हो
तुम लिखती हो जो दूर रहता है,
तुम्हारे करीब जो मजबूर रहता है !!
तुम बीज लिखती हो जो अंकुर रहता है,
तुम्हारी हौसले की पौध में मजबूत रहता है !!
तुम हवा लिखती हो जो तूफान रहता है,
तुम्हारी हिम्मत की ओज में विद्यमान रहता है !!
तुम नमी लिखती हो जो अश्रु-धार रहता है,
तुम्हारी विनम्रता की वेग में उपकार रहता है !!
तुम करूणा लिखती हो जो उपहार रहता है,
तुम्हारी वेदना की आवाज में सहकार रहता है !!
तुम लिखती हो जो दूर रहता है ,
तुम्ही आवाज हो जो महफूज रहता है !!