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तरूण अहाके बेज़बान

Abstract Inspirational

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तरूण अहाके बेज़बान

Abstract Inspirational

विभेद

विभेद

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तुम्हारी फतह से, मुकम्मल हार है !

तुम्हारी हीनता से, बेहतर धुत्कार है !


पौरूष सत्ता से, समानता भ्रम है ! 

सम भागीदारी से, स्त्री सम्मान है ! 


इस जातिभेद के, विकार अपार है ! 

रोटी-बेटी संबंध से, विभेद श्रृंगार है ! 


लिंग भेद के, कारण असमान है ! 

बेटा-बेटी से, स्वयं कीर्ति महान है !


धर्मांत दिशा के, राह निदान है !

कर्ता के शौर्य से, सृष्टि गुणगान है !


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