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तरूण अहाके बेज़बान

Abstract Others

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तरूण अहाके बेज़बान

Abstract Others

डर

डर

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मैं अब भी बोलने से डरता हूं

कहता हूं और रूक जाता हूँ! 


मैं उफान में ही सरोकार सहता हूं ,

राजा को रंक सा विचार में बहता हूं! 

मैं अभद्रता को अलग करके कहता हूं,

शब्दों को समूह का फैसला कहता हूं! 


मैं अब भी बोलने से डरता हूं


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