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Pramod Pabaiya

Drama

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Pramod Pabaiya

Drama

तुम्हें पुकारता रहा

तुम्हें पुकारता रहा

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कुंज के वितान में

उमस भरे विहान में


पथ संवारता रहा,

तुम्हें पुकारता रहा।


खगों के गीत में

पुनीत नेह की तरंग से


दिशाएँ सींचता रहा,

हृदय के ही स्पंद से


ये नभ निहारता रहा

तुम्हें पुकारता रहा।


निशा के उच्च श्रृंग पर

यूँ नींद से हुई कलह


विरह की वेदना प्रखर

हुई नहीं हुई सदय


सु स्वप्न हारता रहा,

तुम्हें पुकारता रहा।।


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