तुम्हारे इश्क़ का नशा
तुम्हारे इश्क़ का नशा


तुम्हारी मोहब्बत का नशा सरेआम करना चाहती हूँ
और जाना, तुम्हारे इश्क में उम्र भर कैद रहना चाहती हूँ।
शिक़वा और न ही कोई शिकायत करना चाहती हूँ,
तुम जैसे हो बस वैसे ही तुम्हें अपना बनाना चाहती हूँ।
तुम्हारी खूबियों को अपने जहन में बसाना चाहती हूं,
मेरे अंदर भी कुछ तुम जैसा बन जाये बस इतना सा अरमान चाहती हूँ।
दुनिया से परे तुम्हारी सादगी पर ही हमेशा मरना चाहती हूँ
और इस इश्क की चाहतो में ही हमेशा मुस्कुराना चाहती हूँ।
वादों और अरमानों की इस दुनिया से परे
तुम्हारे ही सादगी भरी मोहब्बत में रहना चाहती हूँ,
जाना, मैं बस तुम्हारे ही दिल मे बसना चाहती हूँ।
ये दिल बेतहाशा हो गया हैं,
इसे तुम्हारे इश्क का ही नाम देना चाहती हूँ,
दीवानी हूँ इस इश्क में बस दीवाना ही तो बनाना चाहती हूँ।